किसान खेती से नहीं डरते बल्कि उसमें होने वाले घाटे से डरते हैं। अधिकतर किसान खेती इसलिए करते हैं ताकि उनके आजीविका का स्रोत कायम रहे और अधिकतर किसान खेती इसलिए करते हैं ताकि वह खेती में सफलता हासिल कर अन्य किसानों के लिए उदाहरण बन सके। उन्ही किसानों में से एक है लखीमपुर खीरी के रहने वाले रमाकांत मिश्रा। उन्होंने अपने गांव में पारंपरिक खेती प्रारंभ की और गेहूं तथा धन की बुवाई की परंतु जब वह इसमें असफल रहे तब उन्होंने इसे छोड़ने का निश्चय किया और अपने खेतों में विदेशी फलों की बुवाई की ताकि वह अपना आजीवीका सही तरह चला सके। आज वह विदेशी फलों से लाखों रुपए कम कर अन्य किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं।

पारम्परिक खेती छोड़ अपनाया विदेशी फल की खेती (Dragon Fruit)
रमाकांत मिश्रा ने अपने खेतों में विदेशी फलों यानि ड्रैगन फ्रूट की बुआई की। शुरुआती दौर में उन्हें तो परेशानियों का सामना करना पड़ा क्योंकि ड्रैगन फ्रूट कहां से लाये, कैसे बुआई करें, पौधे कहां से लाएं, इन सारी बातों को लेकर समस्याएं उत्पन्न हुई। उस दौरान उन्होंने कृषि विशेषज्ञ से सलाह लिया और उनकी मदद से थाईलैंड से ड्रैगन फ्रूट मंगवाई और अपने खेतों में ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं। उनके खेत में आपको 900 से भी अधिक ड्रैगन फ्रूट के पौधे मिलेंगे जिसपर फल लगे हुए हैं।

फल के साथ उगाए अन्य फसल भी
वह बताते हैं कि अगर आप ड्रैगन फ्रूट की बुवाई करना चाहते हैं इसके लिए खेत को अच्छी तरह तैयार कर ले और इसमें कुछ फिट की दूरी पर पौधों की बुवाई कर दे।आप चाहे तो इसके साथ अन्य फसल की भी बुआई कर सकते हैं जैसे मक्का या अमरूद। वह बताते हैं कि जब उनके पौधे तैयार हो गए और फल तोड़े तो उसे दिल्ली के मार्केट में बेचा जिससे उन्हें लाखों रुपए की कमाई हुई। आप अगर इन पौधों की बुवाई करते हैं तो यह सालों साल आपको फल देंगे इसे तैयार होने में लगभग डेढ़ वर्ष का समय लगता है और 30 वर्षों तक चलता है।