हर क्षेत्र में खेती का एक अलग नज़रिया है जो सभी के लिए वरदान साबित होता है। पहाड़ी क्षेत्रों में खेती करने का तरीका अलग है तो चिकनी मिट्टी वाले क्षेत्रों में अलग। हर जगह की अपनी फसल है तो हर जगह की अपनी पद्धति। ऐसे में अगर आपके कानों में मध्यप्रदेश के छतरपुर के विषय मे कहि सुनाई देगा तो वो खेती अलसी की खेती है। लेकिन यहां पहले के किसान अलसी की खेती करते थे और उन्हें अच्छा लाभ भी मिलता था। हालांकि आप इसकी खेती कम सिंचाई वाले क्षेत्र में कर सकते हैं।

अलसी की खेती के लाभ
अलसी की खेती रबी फसल में यानि अक्टूबर से नम्बर माह के दौरान की जाती है। अगर आप अलसी की बुआई करते हैं तो बुआई के बाद आपको सिंचाई तथा उर्वरक यानी खाद के छिड़काव को लेकर परेशान होने की आवश्यकता नहीं होगी। इसके फसल को पानी की जरूरत नहीं पड़ती। पहले के वक़्त में अलसी की खेती इसलिए करते थे क्योंकि लोग अलसी के तेल का सेवन करते थे जो बेहद फायदेमंद होता है।

नीलगाय से करे बचाव
आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि अलसी की खेती में नीलगाय खूब आते हैं ताकि वह इसे खा सकें। क्योंकि अलसी नीलगायों की फेवरेट फसल मानी गई है जिसको वो खूब चाव से खाते हैं। इसलिए अगर अलसी की बुआई करें तो नीलगाय से इसे अवश्य बचाये। जानकारी के मुताबिक अलसी के तेल को घी के तौर पर उपयोग किया जाता था क्योंकि ये गरीब लोग अधिक खाते थे। महिलाओं के लिए ये तेल वरदान है क्योंकि उस वक़्त गर्भवती महिलाएं इसका सेवन किया करती थी। इसका उपयोग जोड़ो के दर्द में भी किया जाता है। इसकी मसाच से दर्द में राहत मिलती थी।